काली नजरवाली लेखनी प्रतियोगिता -18-May-2022
सिया अपने पाँच साल के बेटे को पार्क मे खिलाने लेकर जाने वाली थी।उसकी सास बोली ," बहू इसको काला टीका लगा कर लेकर जाना।तू नही जानती वहाँ बहुत खराब नजर वाली औरतें आती है ।"
" ठीक है मम्मी आप जैसा कह रही हो मै बेसा ही करूँगी।" इतना कहकर सिया ने अपने बेटे सौनू को काला टीका लगा दिया।और वह उसे लेकर पहली बार पार्क में आई थी। क्यौकि अभीतक करौना के कारण सब बन्द था।
वहाँ बहुत सी औरतै अपने अपने बच्चौ को लेकर आई थी। उसी पार्क में एक कौने मे एक औरत चुप चाप बैठी थी। जब सिया वहाँ सौनू को लेकर पहुँची तब सभी औरतै उस कौने मे बैठी औरत की चर्चा कर रही थी।
एक औरत बोली," यह कामिनी यहाँ किस लिए आती है इसके साथ इसके पोते नहीं आते है फिर यह यहाँ क्यौ आती है। इसकी नजर इतनी काली है कि यह जिसकी तरफ देखलेती है वह शाम तक बीमार अवश्य हो जाता है। मैने तो सुना है यह जादू टौना भी जानती है।"
दूसरी औरत बोली," इसमे हमारी भी गल्ती है हम सभी को मिलकर इससे पूछना चाहिए कि जब उसका कोई बच्चा यहाँ खेलने नही आता फिर वह यहाँ क्या लेने आती है।"
एक तीसरी औरत भी उन दौनौ का समर्थन करते हुए बोली," बहिनजी आप सही कह रही हो हमें एक दिन उसको कहना ही होगा। वह ऐसे मानने वाली नही है। इसे तो समझाना पडे़गा।"
सिया उनकी बातें सुनकर बोर होरही थी। वह इन पुरानी बेकार की बातौ पर विश्वास नही करती थी।
सिया सोच रही थी कि इसकी भी कोई मजबूरी होगी जो यहाँ पर आकर अकेली बैठी रहती है। और ये सब मिलकर उसका मजाक बना रही है कोई उसे काला जादू करने वाली समझ रही है।
इसी बीच सिया का बेटा सौनू खेलते हुए कौने में बैठी हुई उस औरत के पास पहुँच गया। और वह उसकी गोद में चढ़ गया ।
सभी औरतै सिया से बोली," तू पागल होगयी है कि तूने अपना बेटा उसकी तरफ जाने से नही रोका। वह बहुत ही मनहूस है उसके पास जो भी बच्चा जाता है वह अवश्य बीमार हो जाता है। और उसने तो तेरा बेटा अपनी गोद में ही बिठा लिया है और तू यहाँ बैठी टुकर टुकर देख रही है।"
सिया बोली," यह सब दकियानूसी बातें है कोई काला जादू नही होता है यह सब हमारी सोच है। हमें किसी पर झूँठा आरोप नहीं लगाना चाहिए। वह यहाँ आकर अकेली बैठती है इसकी कोई मजबूरी होगी।"
" कोई मजबूरी नही है वह बहुत ही जादूगरनी है उसकी गोद मे जो भी बच्चा जाता है वह बीमार क्यौ हो जाता है। यह सच्चाई है और हम इससे दूर कैसे भाग सकते है। तुझे हमारी बातौ पर यकीन नहीं आरहा तो कोई बात नही है। तेरी मर्जी!" उनमें से एक औरत बोली।
सिया उन सबकी बातौ पर ध्यान न देकर उस औरत के पास गयी और उनको नमस्ते की और उनका हाल पूछते हुए बोली," आन्टी आप यहाँ अकेली क्यौ बैठी रहती हो। आपको क्या परेशानी है?"
वह औरत बोली," बेटा घर घर की एक ही कहानी है अपने घर की बात बाहर कहने से क्या मिलेगा। जो भी सुनेगा वह हसता है तू स्वयं समझदार है।
"फिर भी आप यहाँ अकेली बैठी रहती है इसका क्या कारण है? आप अपने पोते पोती को भी साथ नही लाती है। " सिया ने पूछा।
वह औरत बोली," बेटा सभी औरते मुझे जादूगरनी काला जादू करनेवाला समझती है । तूही बता मै ऐसा कैसे कर सकती हूँ मै भी एक माँ हूँ मै किसी बच्चे पर जादू टौना क्यौ करूँगी ऐसा ही मेरी बहू समझती है और अपने बच्चौ को मेरे पास नही आने देती है?"
" आन्टी कोई बात नहीं आप हर रोज मेरे बेटे को खिलाने आजाया करो मै इन सब पर विश्वास नहीं करती हूँ।" सिया ने उसको समझाते हुए बोला।
"बेटा बहुत धन्यवाद तूने मेरी भावनाऔ को समझा और मुझ पर विश्वास किया।" वह औरत बोली।
दूसरी औरतै सिया को देखती रहगयी।उन्हौने सिया की सास को यह सब बात बताई। जब सिया अपने घर पहुँची तब उसकी सास उसपर नाराज हुई और बोली ," सौनू को कुछ होगया तब तू क्या करेगी।"
" कुछ नही होगा मम्मी जी यह सब हमारा भ्रम है वह बेचारी अपनी बहू से परेशान होकर अपना टाइम पास करने आती है। और सभी औरते उसे जादूगरनी काला जादू करनेवाली समझती है । कोई भी उसकी असली परेशानी नहीं समझता है।" सिया अपनी सास को समझाने लगी।
" तू ठीक कहरही है सिया तूने उसकी परेशानी समझकर अच्छा किया।" अब सिया की सास ने उसकी तारीफ करते हुए कहा।
सौनू को कुछ भी नहीं हुआ ।अब सिया अपने बेटे को हर रोज पार्क में लेकर जाती और उस औरत के पास सौनू को अवश्य लेजाती थी ।
अब दूसरी औरतें भी उसके पास जाने लगी थी अब वह बहुत खुश रहती थी और सिया का धन्यवाद करते नहीझ थकती थी।क्यौकि यह सब सिया की पहल से ही हुआ था।
वह औरत बच्चौ के लिए टाफी व चाकलेट भी लाकर देती थी। अब सभी बच्चे उसके पास जाकर खेलते थे।
इस तरह सिया ने एक औरत के दर्द को समझाऔर उसे दूर करने की कोशिश की थी।
दैनिक प्रतियोगिता कहानी लेखन के लिए लिखी गयी कहानी।
नरेश शर्मा
18/05/2022
Barsha🖤👑
11-Oct-2022 09:16 PM
Beautiful
Reply
Chetna swrnkar
11-Oct-2022 06:57 AM
Behtarin rachana
Reply
Kusam Sharma
03-Jun-2022 08:57 AM
Nice
Reply